भीगी - भीगी सी है ये फिजा ,
या फिर मेरे ख्वाब कुछ नए हैं ,
आसमान से है बूँद बरसते ,
या किसी के दिल से ख्याल उमड़ रहे हैं |
संगीत है ये कोई नया या फिर ,
अलफ़ाज़ बदल रहे हैं ,
नयी है ये मुस्कुराहट ,
या फिर जीने के अंदाज़ बदल रहे हैं |
ख़ामोशी है ये कौन सी ,
के ज़िन्दगी फुसफुसा के कह रही है ,
मर-मर कर जीना या फिर ,
जी कर मरना सही है |
बरसात तो है ये लेकिन ,
आज ख्वाब बरस रहे हैं ,
लिखी हुई थी जो दास्ताँ ,
उसके किरदार बदल रहे हैं |
इस से पहले की मन बदल जाये ,
भीगने दो खुद को,
कायनात की करामात बदल जाये ,
सजने दो ज़मीन को |
शक्ल तो वही हो लेकिन ,
हो इंसान नया ,
जब ख्वाबों की बारिश से भीगे मेरा ये जहाँ |