Sunday 25 September 2011

नए ख्वाबों की बारिश



                      


 भीगी - भीगी सी है ये फिजा ,
या फिर मेरे ख्वाब कुछ नए हैं ,
आसमान से है बूँद बरसते ,
या किसी के दिल से  ख्याल उमड़ रहे हैं |
संगीत है ये कोई नया या फिर ,
अलफ़ाज़ बदल रहे हैं ,
नयी है ये मुस्कुराहट ,
या फिर जीने के अंदाज़ बदल रहे हैं |
ख़ामोशी है ये कौन सी ,
के ज़िन्दगी फुसफुसा के कह रही है ,
मर-मर कर जीना या फिर ,
जी कर मरना सही है |
बरसात तो है ये लेकिन ,
आज ख्वाब बरस रहे हैं ,
लिखी हुई थी जो दास्ताँ ,
उसके किरदार बदल रहे हैं |
इस से पहले की मन बदल जाये  ,
भीगने  दो खुद को,  
कायनात  की करामात  बदल जाये ,
सजने  दो ज़मीन को |
शक्ल तो वही हो लेकिन ,
हो इंसान नया ,
जब ख्वाबों की बारिश से भीगे मेरा ये जहाँ |




2 comments:

  1. इस से पहले की मन बदल जाये ,
    भीगने दो खुद खुद
    कायनात की करामात बदल जाये ,

    Waah.. Ek antaraal ke baad aapki rachna padhi.. Acchhi lagi.. Badhai..

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  2. apka bahut bahut shukriya anil ji ....galti sudharne ke liye bhi or saath hi mere rachnao ki tareef karne ke liye bhi...

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