भूली बिसरी यादें
आज फिर किसी रस्ते से गुज़रते वक़्त,
मेरी यादों की किताब मुझे मिल गयी.....
पलट कर देखा कुछ पन्नो को
तोह उनमे मुझे अपनी दोस्ती और ज़िन्दगी मिल गयी....
लेकिन खाली पन्नो को अभी ज़िन्दगी
कि स्याही से और भरना है ...
अब तो हमने सिर्फ साथ चलना शुरू किया है,
आगे तो हमें अभी कई और बार मिलना है ......
this is my 1st poem on e blog..hope u gyzz lyk it
ReplyDelete