Sunday 10 July 2011

बदनाम गलियाँ



बदनाम गलियाँ




अजनबी तनहाइयाँ आज फिर ले आई उसे ,
बदनाम गलियों के दरवाज़े पर | 
नशे में धुत आज फिर उसकी आत्मा ,
कदम उसके फिर गये बदनाम गलियों पर ठहर |

शहर के हो-हल्ले से दूर हैं इसके रास्ते,
आते रहते हैं प्यार के प्रेमी यहाँ ,
अपने "पराये शागिर्द" की तलाश में |

लज्जा - रहित नज़रे उसकी आज हैं ,
फिर किसी के सीने से लग जाने की आस में |
इन बदनाम गलियों में बिकता असली प्यार है ,
आती हैं हस्तियाँ भी कभी -कभी यहाँ शांति की आस में |

मोगरे के फूलों सी महकती यह गलियाँ ,
चिड़ियाँ जैसी चहकती यह गलियाँ ,
दरिंदगी के बीच ज़िन्दगी से मिलवाती यह बदनाम गलियाँ |

कुछ पल सुकून देती उसे यह चादर की सिलवटें ,
दर्द की छाँव से भी मुक्त कर देती |
याद कर पुरानी बातें बदलता रहता वो करवटें ,
बदनाम गलियाँ वो सरे ग़म हंस कर अपनी झोली में ले लेती हैं | 

दिखावों से मुह मोड़ती यह गलियाँ ,
कभी न खिलने वाली फूलों की कलियाँ ,
सबको अपनी पहचान दिलाने वाली यह बदनाम गलियाँ |

गलत अंदाज़ नज़रों से परखा जाता इसे ,
जज्बातों से लेकिन कोई खेलता नही यहाँ |
बेदाग़ दामन लेकर घुमने वाले ,
अंतर्मन साफ़ करने खटखटाते हैं यहाँ |

पैसों से ही सही पर सच्ची खुशियाँ देती यह गलियाँ ,
गम से कभी न रूबरू कराती यह गलियाँ ,
टूटे दिल को सुन्दर मूरत बनाती यह बदनाम गलियाँ |

उसके भी गमगीन मन को कर दिया फिर खुशनुमा ,
शुक्रिया जैसा कोई अलफ़ाज़ नही उनके लिए यहाँ |
अपने कुरूप जग का एक सुन्दर हिस्सा है यह दुनिया ,
कितना शीतल कितना स्थिर है यहाँ का समा |
 
माना एक गंदे सच का परिचय हैं यह गलियाँ ,
दुनिया और हम इंसानों से कई गुणा पवित्र हैं यह गलियाँ ,
जिसको जग ने ठुकराया उसे इसने गले से लगाया ,
सच्ची मित्र भी हैं यह गलियाँ |

सुबह के उजाले के साथ रात की तरह वो  भी वापस लौट गया ,
पैसो  की दुनिया में उसने पैसो से ही  सच्चा प्यार पाया |
फर्क हम में और उनमे कैसे हो सकता है इतना ,
इंसानों के शरीर में समाया है खुदा का काया  |

ज़ख्मों को पट्टी करती यह गलियाँ ,
हर दुःख हर शरीर को आँचल से ढक देती यह गलियाँ , 
घिनौनी मगर इंसान को खिलौना नही समझती यह बदनाम गलियाँ |

 



 
 




 

1 comment:

  1. Asna Ji, Bahut acchha likhti hain aap... Main lagbhag aapke sare post padh chuka hun.. ab to follow bhi karta hun... bahut acchhi tarah se pichhli post mein aapne ek maskhare ke antaraatma ki baat kahi aur abhi jo aapne badnaam galiyon ke vishay mein soch ka fark dikhlaya.. bahut hi kabile tarif... likhte rahiye... Badhai...

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